"बोले रे पपीहरा ...... ,"हम को मन की शक्ति देना मन विजय करें ,दूसरों की जय से पहले खुद को जय करे " जैसे कर्ण मधुर गीत देने वाली वाणी जयराम का गोलोक को प्रस्थान
"बोले रे पपीहरा ...... ,"हम को मन की शक्ति देना मन विजय करें ,दूसरों की जय से पहले खुद को जय करे " जैसे कर्ण मधुर गीत देने वाली वाणी जयराम का गोलोक को प्रस्थान
आत्मा अजर अमर अविनाशी है न कहीं जाता है ना कहीं से आता है। पांच भूता शरीर पहले ही जड़ है फिर मरता कौन है ?गीत हमारे बीच रहते हैं अंतरिक्ष में स्पंदन बन के। वाणी जी जयराम भी यहीं कहीं है।
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आत्मा अजर अमर अविनाशी है न कहीं जाता है ना कहीं से आता है। पांच भूता शरीर पहले ही जड़ है फिर मरता कौन है ?गीत हमारे बीच रहते हैं अंतरिक्ष में स्पंदन बन के। वाणी जी जयराम भी यहीं कहीं है।
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