Skip to main content

आईपीसीसी रिपोर्ट वेक-अप अब कार्रवाई करने के लिए आह्वान : ब्रिटेन


IPCC report

(source : IANS) (Photo Credit: (source : IANS))

नई दिल्ली: सीओपी26 नामक संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन की मेजबानी करने वाले ब्रिटेन ने जलवायु परिवर्तन के विज्ञान पर सोमवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट के जवाब में तत्काल वैश्विक कार्रवाई का आह्वान किया, जिसमें कहा गया है कि अपना ग्रह पहले के अनुमान से अधिक गर्म हो गया है।

संयुक्त राष्ट्र के संगठन इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में दुनिया भर के वैज्ञानिकों की एक कड़ी चेतावनी है कि मानव गतिविधि एक खतरनाक दर से ग्रह को नुकसान पहुंचा रही है।

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि जलवायु परिवर्तन पहले से ही दुनियाभर में हर क्षेत्र को प्रभावित कर रहा है और यह वार्मिग, हीटवेव, भारी वर्षा, सूखा, आर्कटिक समुद्री बर्फ, बर्फ के आवरण और पर्माफ्रॉस्ट के नुकसान को सीमित करने के लिए तत्काल कार्रवाई के बिना कार्बन सिंक बन जाएगा और तब वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड के विकास को धीमा करना कठिन हो जाएगा।

रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में कटौती, मध्य शताब्दी तक तुरंत शून्य से शुरू होकर, ग्लोबल वार्मिग को लंबी अवधि में 1.5 सेल्सियस तक सीमित करने और जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से बचने में मदद करने का एक अच्छा मौका होगा।

प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा, आज की रिपोर्ट गंभीरता से पढ़ने के लिए है और यह स्पष्ट है कि अगला दशक हमारे ग्रह के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण होने जा रहा है।

उन्होंने कहा, हम जानते हैं कि ग्लोबल वार्मिग को सीमित करने के लिए क्या किया जाना चाहिए। हमें कोयले को स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों में रूपांतरित करना, प्रकृति की रक्षा करना और अग्रिम पंक्ति के देशों के लिए जलवायु वित्त प्रदान करना है।

जॉनसन ने कहा, ब्रिटेन पिछले दो दशकों में जी20 में किसी भी देश की तुलना में हमारी अर्थव्यवस्था को तेजी से डीकार्बोनाइज करने का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। मुझे उम्मीद है कि आज की आईपीसीसी रिपोर्ट दुनिया के लिए अब कार्रवाई करने के लिए जागृत करने की एक अपील होगी, इससे पहले कि हम नवंबर में ग्लासगो में महत्वपूर्ण सीओपी26 शिखर सम्मेलन के लिए मिलें।

उन्होंने कहा कि जैसा कि दुनिया भर में चरम घटनाओं को महसूस किया जाता है, उत्तरी अमेरिका में जंगल की आग से लेकर चीन में बाढ़, पूरे यूरोप, भारत और अफ्रीका के कुछ हिस्सों और साइबेरिया में हीटवेव

इधर, सीओपी अध्यक्ष आलोक शर्मा वैश्विक जलवायु महत्वाकांक्षा को बढ़ाने के लिए सरकारों और व्यवसायों के साथ बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगले दशक में वैश्विक उत्सर्जन को आधा करने में मदद करने के लिए तत्काल कार्रवाई करने और पेरिस समझौते में निर्धारित 1.5 सेल्सियस लक्ष्य को पहुंच के भीतर रखने के लिए मध्य शताब्दी तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन तक पहुंचने का लक्ष्य है।

ब्रिटेन पहले से ही 2030 तक अपने उत्सर्जन को 68 प्रतिशत और 2035 तक 78 प्रतिशत कम करने की स्पष्ट योजनाओं के साथ नेतृत्व दिखा रहा है, जिससे 2050 तक लक्ष्य तक पहुंचा जा सकेगा। 

Comments

Popular posts from this blog

इस दवा विराफिन का टीका लगने के हफ्ते बाद चर्चित आरटीपीसीआर परीक्षण के नतीजे नेगेटिव मिलें हैं। इसे ९१. १५ फीसद कारगर पाया गया है। यह अन्य वायरल संक्रमणों पर भी काम करेगी। डॉ शर्विल पटेल बधाई के पात्र है जिन्होंने यह खबर न्यूज़ चैनलों के माध्यम से दी है। आप जायडस कैडिला के प्रबंध निदेशक है

https://blog.scientificworld.in/2021/04/zydus-receives-emergency-use-approval.html मुद्दई लाख बुरा चाहे तो क्या होता है  विघ्नसंतोषी राहुल -ममता -केजरीवाल सोच के लोग लाख सही आखिर में कोविड  के  बहरूपिया प्रतिरूपों के खिलाफ यह जंग भारत ही जीतेगा।हर्ष का विषय है दवा निर्माता निगम जाइडस कैडिला ने इसके खिलाफ एक कारगर दवा की आज़माइशें कई चरणों में कामयाबी के साथ  संपन्न कर ली हैं ,उम्मीद है ये दवा जो हफ्ते भर में संक्रमित हो चुके लोगों को ब्रितानी ,दक्षिण अफ़्रीकी ,डबल म्युटेंट इंडियन वेरिएंट तथा अन्य सभी प्रतिरूपों से मुक्त कर देगी नीरोग बना देगी।दवा को महा -नियंत्रक भारत सरकार (ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया )से  मंजूरी मिल गई है।  टीके के रूप में ये वेक्सीन अस्पतालों के माहिरों की सिफारिश के बाद ही मरीज़ को लगाईं जाएगी।मझोले एवं उग्र लक्षणों से ग्रस्त मरीज़ों भी  को ये वेक्सीन हफ्ते भर में विषाणु मुक्त कर देगी।  ग़ौर तलब है कोवेक्सीन और कोविशील्ड वेक्सीन संक्रमण से पहले लगाईं जाती हैं  बचावी टीके के रूप में ताकि फिर भी संक्रमण की...

कफ की समस्या है :दूध पीने से नहीं होगा नुक्सान

कफ की समस्या है तो भी पीते रहें दूध, नहीं होगा नुक्सान। खानपान में भी वर्जनाओं का प्रवेश कई चीज़ों को लेकर देखा जाता है खांसी जुकाम ,पुराने बलगम में दूध न पीने की सलाह भी कुछ - कुछ ऐसी ही है जिसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।बेहद नुकसानी उठानी पड़ सकती है इन गफलतों की।   यथार्थ : दूध और दुग्ध उत्पाद लेने से कफ नहीं बनता है इसके विपरीत डेयरी प्रोडक्ट्स न लेने से ,पोषकता की कमी से ,मांसपेशियों में दर्द ,बेहद की थकान और अस्थियों के घनत्व में गिरावट आ सकती है अस्थियां (हड्डियां )कमज़ोर होकर हलकी फुलकी चोट लगने से भी टूट सकतीं हैं।  COPD -Chronic Obsessive Pulmonary Disease  या पुरानी चली आई फेफड़ों की थैलों में सूजन एवं संक्रमण से Chronic Bronchitis से जुड़ी लाइलाज बीमारी है जिसमें सांस नालियों में सूजन आ जाती है। असरग्रस्त व्यक्ति को ऑक्सीजन की कमी महसूस होने लगती है। वजन में गिरावट आने लगती है अगर वक्त पर इलाज़ मयस्सर न हो तो मर्ज़ लाइलाज COPD SYNDROME चरण में तब्दील हो जाता है।  इस मर्ज़ के दुनियाभर में तकरीबन सात करोड़ और अकेले भारत में कोई तीन करोड़ मा...